ककड़ी या खीरा खाने से पहले काट कर घिसा क्यों जाता है
ककड़ी या खीरा खाने से पहले काट कर घिसा क्यों जाता है?
खीरा हमारे लिए बहुत हेल्दी होता है और उसका प्रयोग सलाद आदि में किया जाता है। गर्मी के ऋतू दौरान खीरा हमारे बॉडी में पानी की कमी भी पूरी करता है। यदि आपको कभी भी ज्यादा प्यास लगे और पानी पीने के बाद कुछ खाने का मन कर रहा हो, तो खीरे का उपयोग करके देखें।

खीरे में विटामिन, मिनरल, सिलिकॉन इत्यादि पाए जाते हैं। कुछ लोगो को तो खीरा खाना बहुत पसंद होता है, खीरा वैसे नेचुरल कड़वा रहता है, उसमें कुछ ऐसा केमिकल रहते हैं, जिससे उसमें कड़वापन आ जाता है। कड़वापन निकाले बिना इसे खाने से उल्टी, मतली, बीमार हो सकते हैं। यही एक कारण है कि खीरे का कड़वापन निकालने के लिए उसके ऊपर के हिस्से को काट कर रगड़ा जाता है और फिर खाया जाता है।
खीरे व ककड़ी की कड़वाहट कैसे दूर की जाती है
खीरे को ऊपर से थोड़ा सा काटते हैं जहा वह तने से जुड़ा होता है और उसमें हल्का सा नमक लगाकर, उसे गोल गोल रगड़ते हैं, जिससे उसमें झाग बनना शुरू हो जाता है और इसी के साथ कड़वापन भी निकल जाता है।
खीरा एवं ककड़ी के बारे में अन्य महत्वपूर्ण जानकारी
- ककडी को संस्कृत में एवारू या फिर कर्कटी कहते हैं।
- ककडी और खीरा दोनों एक ही परिवार कुकुरबिटेसी (Cucurbitaceae)के सदस्य है।इसी परिवार के कुछ और सदस्य भी हैं जैसे लौकी, तोरई, करेला आदि।
- ककडी/खीरे में एक कंपाउंड होता है जिसे कुकुरबिटेसिन कहते हैं।
- ककडी/खीरे के कड़वेपन की वजह यह कुकुरबिटेसिन ही है।
- कुकुरबिटेसिन जड़, तना, पत्तियों में होता है लेकिन कभी कभी यह ककडी/खीरे में भी आ जाता है. इसीलिए कहा जाता है कि ककडी/खीरे का दूध निकालकर खाना चाहिए।
- इसके लिए ककडी/खीरे को मुहँ यानि कि ऊपर से आधा इंच काटकर फिर इसमें इधर-उधर हल्का सा गोदकर खीरे के बड़े भाग से रगडें तो सफेद फेना जैसा बाहर निकलता है यह कुकुरबिटेसिन ही है. इसी के साथ ककडी/खीरे की कड़वाहट निकल जाती है, फिर ककडी/खीरे को धोकर खाने योग्य बना लिया जाता है।
प्राचीन काल से जुडी ककड़ी की कहावते
- ककड़ी और खीरे के बारे में आयुर्वेदो में भी वर्णन है तथा कहावते भी है दोस्तों खीरे भोजन के साथ सलाद के रूप में लेने पर बहुत फायदे मंद साबित होता है क्योकि ये पेट से जुडी समस्या को समाप्त करने में सक्षम है ।
- यहाँ यह भी बताया गया है कि भारी खाना जैसे कि मकई, अरहर (प्रोटीन वाला खाना )आदि खाने से अगर अपचन है तो उसमें भी खीरा और ककडी खाने से आराम मिलता है. लेकिन खीरा खाने के तुरंत बाद जल ग्रहण न करे दस से पंद्रह मिनट अवश्य रुके अन्यथा खीरा के लाभ आपको नहीं मिलेंगे ।
- प्राचीनकाल में कडवी ककड़ी और खीरे आदि का प्रयोग औषधी के जैसे वमन (उल्टी) और विरेचन (पेट साफ करने के लिए) के लिए भी किया जाता था।
हमारे कवियों ने भी खीरे के करवाहट के बारे में उल्लेख किये हैं –
रहीम दास जी का दोहा तो सभी ने पढ़ा होगा-
खीरा सर ते काटिए, मलिए नोन लगायें. रहिमन कडवे मुखन को चाहिए यही सजाय।

- बिना छिला हुआ खीरा ेंमें 45 ग्राम कैलोरी होती है।
- अर्थात छिलका में भी तत्त्व पाए जाते है।
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